Sunday 13 December 2015

कविता ३७४. आगे जानेवाली राह

                                     आगे जानेवाली राह
कुछ राहों को समज तो हम कई बार लेते पर जब वह मुश्किल लगती है उन पर चलने से कतराते है पर कभी कभी कुछ राहे ऐसी भी तो होती है जो हमे हासिल नही होती है
जिस राह पर हम अपना आशियाना बना लेते है वह राह हमारे लिए आसान नही होती है जिसे समज लेते है वह जीवन कि गाडी आसानी से आगे नही चलती है
राह तो जीवन को मतलब देती है पर वह राहे हमारे समज मे आसानी से नही आती है राह को अलग अलग मकसद तो मिल जाते है पर कभी कभी मुश्किल राह को अपना लेने कि बात आसान नही लगती है
जीवन कि हर धारा मे कई मोड तो मिलते है उन्हे समज लेने कि कोशिश आसान नही होती है राह पर जीवन को तो हम बीता लेते है पर राह बदल लेना आसान नही लगता है
गलत राह को तो बदल भी देते पर कभी कभी आगे बढने के लिए राह बदलनी होती है उस मोड पर जीवन को मतलब मिलता है उस राह को समज लेने कि हर बार जरुरत होती है
राह पर चलते रहने से हर बार दुनिया बदल जाती है जब वह राह हमे हर बार अलग एहसास दिखाती है हम समज लेते है कि वह राह हमे आगे ले जाती है
पर हम जीवन कि राह को आगे ले जाना नही चाहते है क्योंकि पिछली राह को छोडने से हर बार हम कतरा जाते है राहों को समज लेना आसान नही होता है पर कभी राह छोडना भी हम अहम समजते है
राह को आगे ले जाना चाहती है उन्हे समज लेना हर मोड पर जरुरी लगता है जीवन की धारा बनता है राह तो आगे बढती रहती है जिसमे ताकद का इशारा हर बार छुपा होता है
राह का मतलब जीवन को जो मकसद आगे बढनेवाली राह तो देती है जिसे समज लेना हर बार जरुरी लगता है राह को आगे ले जाना जीवन कि जरुरत होता है
तो उस राह को भी छोडो जिस पे चलना आपको प्यारा लगता है क्योंकि आगे जानेवाली राह का ही चलना जीवन को हर पल सुहाना लगता है

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