Monday 7 December 2015

कविता ३६३. नींद के ख्वाब

                                         नींद के ख्वाब
जब सुबह आँख खुले तो ख्वाब कोई दिखता है सोच का कोई एहसास जुदा दिखता है जब आँख खोलकर खिड़की से देखे जीवन का मतलब अलग दिखता है
कल कि अच्छी नींद का एहसास आँखों से जुड़ा होता है जब उठ जाते है तो उस नींद से उस नींद का मतलब ही अलग होता है सपने जो आँखों से अलग हो उनका एहसास जुदा होता है
कच्ची नींद से ज़्यादा अच्छी नींद का एहसास मन को ख़ुशियाँ देता है हम अगर सपने देखे जो ख़ुशियाँ देते है तो मन को अलग तरह से उम्मीद दे जाते है
नींद तो वह होती है जो जीवन को ठंडक दे जाती है बूरे भले एहसास को बाहर ले आते है जो मन को तसल्ली दे जाते है जीवन के सही राह कि ज़रूरत बन जाते है
नींद वह बात है जो हमे मन का आइना बनकर अलग उम्मीद हर बार दे कर जाती है नींद तो वह होती है जो दुनिया को उम्मीद दे जाती है नींद मे जो चीज़ें दिखती है अलग एहसास दे जाती है
सपने कभी कभी जीवन को वह दिल कि बात दिखाते है जो हम मन के किसी कोने मे अक्सर छुपा लेते है क्योंकि सपने ही तो मन कि बात बताते है जीवन कि अलग धारा दिखाते है
नींद से उठकर हम अक्सर अपने ख्वाब याद करते जाते है उनसे जीवन का अलग मतलब समज जाते है नींद के अंदर हमे अलग याद हमेशा पाते है
उन्हें समज लेने कि अक्सर चाहत हम पाते है क्योंकि उन्हें परख लेने से ही तो हम जीवन का हर मतलब समज जाते है सपने जो जीवन को आगे ले जाते है वह अक्सर नींद मे ही आते है
सपनों के अंदर अलग मतलब जो जीवन को अलग राग दे जाता है जीवन मे अलग एहसास बन जाता है सपने को सही से समज ले तो दिन अच्छे से गुज़र जाता है
इसलिए तो जागते ही सबसे पहले अपना सपना समज लेते है उसके बाद उस सपने से ही अपनी दुनिया को हर बार हम जीवन मे अच्छेसे समज हर बार हम लेते है

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