Tuesday, 1 December 2015

कविता ३५०. कहानी अधूरी नहीं रहती

                                         कहानी अधूरी नहीं रहती
जब बात अधूरी रह जाए मन मे चुभन सी रहती है बातों ही बातों मे जीवन कहानी बहती है बात अधूरी जो रह जाए जीवन कि निशानी बनती है अधूरी कहानी से ही जीवन कि निशानी बनती है
अधूरी सी कहानी जो बीच मे रुक जाये सच कहे तो अधूरी कभी नहीं रहती है जिसे हर मोड़ पर समज ले वह कहानी आसान नहीं होती है अधूरी कहानी जीवन को मोड़ नया देती है
जिसमें जीवन कि सोच अधूरी ना रहे उस सोच मे जीवन कि अलग निशानी बनती है अधूरी बात का पूरी होना किस्मत मे लिखा होता है उन बातों से अलग कहानी बनती है
जब जीवन को परख लेना समज जाये तो जीवन कि धारा अलग ही बनती है जिसे जीवन मे समज ले वह कहानी सोच अक्सर बदल देती है वह अलग कहानी होती है
जिसे आधी छोड़कर जाते है वह बात कभी पुरानी नहीं होती है जो पूरी हो जाती है वही सिर्फ़ याद सुहानी होती है बाकी बची हर कहानी मे अधूरी प्यास ही होती है
जिसे अधूरी ही हमने छोड़ी हो वह कहानी पूरी करने कि मन कि चाहत पुरानी नही होती खत्म नहीं होती है जीवन को जो हम समजे तो जीवन कि बात पूरी नहीं होती है
क्योंकि अक्सर हम जो कहानी अधूरी छोड़ देते है जिसे खत्म करने कि चाहत हमे नहीं होती है पर कुछ ऐसे मोड़ आते है जो जीवन को राह दिखाते है
जिन्हें समज लेने कि चाहत हर बार मन मे भरी हुईं होती है पर जीवन कि कहानी परख लेने के लिए मन कि उस मोड़ पर हिम्मत नहीं होती है जब डर से कदम पीछे हट जाते है वह कहानी पूरी नहीं होती है
जीवन को हर कदम कुछ तो कह देना है क्योंकि जीवन कि हर सोच के अंदर कि कहानी सीधी नहीं होती है जिसे जीवन मे समजे हम उस सोच कि कोशिश अधूरी नहीं लगती है
तो जो कहानी अधूरी है उसे समजे बिना हमारे जीवन कि कहानी पूरी नहीं होती है इस मोड़ पर ना सही अगले मोड़ पर समजे यही जीवन कि कहानी है और कोई जीवन कि कहानी नहीं होती है

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