Tuesday 29 December 2015

कविता ४०७. छोटीसी असरदार बात

                                       छोटीसी असरदार बात
जब कोई  छोटीसी बात मन को छू जाती है वह आँसू और हँसी दोनों कि बजह बन जाती है पर जो बात हमारे मन पर असर हर बार करती है क्या वह बात छोटी रहती है
जो बात जीवन मे इतना असर कर जाती है वह बात अक्सर हमे छोटी नही नजर आती है जिसे जीवन मे समज लेने के लिए मन मे कई जंगे लढी जाती है वह बात जीवन मे बडी बन जाती है
कोई कुछ भी कहे पर मन पर तो अलग असर हो जाता है जमाने के लिए बात छोटी हो पर मन उसे बडी कहता है जीवन कि बातों का असली मतलब उनके असर से होता है
छोटी छोटी बातों का भी बडा असर जब हो जाता है जमाना उन्हे अलग तरह से परख लेता है पर मन तो उन्हे बुरा ही हर बार कहता है जीवन पर अलग असर कर जाता है
बात तो छोटी बडी तय हो जाती है क्योंकि वही तो उम्मीद का किरण दे जाती है जिसे समज लेना जीवन कि जरुरत नजर आती है बाते हर बार छोटी नही नजर आती है
क्योंकि जो छोटी नजर आती है वह बात उतनी छोटी नही होती है जब वह बात असर कर जाती है वह जीवन मे बडी हो जाती है जो जीवन को बदल जाती है
वह बात क्या बडी हो हमारे लिए जो हम पर असर ना कर पाती है वह बात बस मन को कहानी ही लगती है सच्ची बात तो वह है जो मन को रुलाती है या हँसाती है
लोगों के कहने से कहाँ जीवन कि बात बदल पाती है जो चोट या सुंदर मुस्कान देती है वही बात जीवन मे असर हर बार कर जाती है जमाने के कहने से क्या असर होता है
हर बात मे जो असर होता है उस से ही हम जीवन को परख लेते है जीवन मे दोनों बातों के अपने असर हर बार हर मोड पर होते है जो हर बार अलग अलग होते है
छोटी बात अक्सर जीवन को अलग मतलब दे जाती है उस पल हमे वह बडी नजर आती है क्योंकि वही बात ही तो हमारे जीवन कि सुबह और रात तय करती है

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