Friday 18 December 2015

कहानी ३८५. लब्जों का मतलब

                                              लब्जों का मतलब
लब्जों कि कहानी हर बार जीवन कुछ तो बताती है जो आती जाती हर बात को अलग मतलब से समज लेती है बाते तो कई लब्जों मे है छुपी जीवन कि अलग निशानी बनती है
लब्ज तो हमको जीवन दे जाते है उन्हे समज लेने कि शुरुआत जीवन को दे जाते है लब्ज तो हर राह पर अलग एहसास दिखाते है उनके अंदर अलग अलग मतलब दिखाते है
हर लब्ज तो जीवन कि अलग धारा जिन्दा हर बार करता है उसे समज लेना जीवन मे हर मोड पर अहम हमेशा लगता है लब्जों के उस खेल कि मिसाल अलग बन जाती है
लब्ज तो कई मोड पर लिखे है उनके मतलब कभी कबार ही समज मे आते है लब्जों को परख लेने से ही जीवन कि अलग कहानी बनती है जीवन कि अलग निशानी बनती है
लब्ज तो हमे दुनिया का मतलब अलग तरीके से दिखाते है क्योंकि जीवन मे लब्ज ही तो हर बार मतलब दे जाते है जीवन कि उम्मीद हर बार सिर्फ लब्जों से होती है
लब्ज तो बस जीवन का कुछ ऐसा सार सुनाते है कि हर बार लब्जों से ही हमारे दुनिया कि महफिल हर बार जीवन मे बनती है लब्ज तो मतलब हर बार देते रहते है
लब्ज ही तो दुनिया कि मतलब कि बात हर बार होती है लब्जों के अंदर हर बार कहानी तो जरुर बनती है पर लब्ज को परख लेने कि फुरसत कहाँ हमे मिलती है
लब्ज तो जीवन को हर बार अलग छोर पर रख जाते है लब्जों को समज लेने कि जरुरत हर बार जीवन मे होती है लब्ज के भीतर हर बार उम्मीद जिन्दा होती है
लब्जों के मतलब से ज्यादा कभी कभी जीवन मे नई शुरुआत हर बार होती है लब्ज को समज लेने कि जरुरत जीवन मे हमे हर बार होती है पर कभी कभी बिन समजे ही जीवन कि महफिल सजती है
लब्ज तो जीवन का मतलब हर बार दे जाते है लब्ज तो हर बार जीवन को हर ओर से कोई ना कोई उम्मीद दे जाते है वह उम्मीद जीवन मे हर बार समज लेनी होती है

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