Friday 11 December 2015

कविता ३७१. छुपी सोच

                                      छुपी सोच
चुपके से कोई सोच जो जीवन को मतलब दे जाती है उसे समज लेने से ही जीवन कि सुबह आती है चुपके से अनजान सोच जो जीवन को मतलब दे जाती है
क्यूँ रोके हम उस सोच को क्योंकि उस सोच से ही तो जीवन कि सुबह आती है जब हम जीवन कि धारा को समज लेना चाहते है वह जीवन को मतलब दे जाती है
छुप के से अलग सोच जो जीवन कि मशाल बनती है उस सोच को समज लेने से हमारी दुनिया बदल जाती है सोच से ही हमारी दुनिया बनती है जो जीवन मे खुशियाँ लाती है
उसी सोच को समज लेने से हमारी दुनिया हर बार अलग एहसास पाती है पर सवाल तो यह है कि हम इतनी अहम सोच को हर बार क्यूँ छुपाते रहते है
कभी कभी सही सोच को कहना जीवन मे मुश्किल होता है उस सोच के अंदर जीवन का अलग मकसद होता है छुपी सोच दुनिया को मतलब दे जाती है
छुपे हुई वह रोशनी जो जीवन को सही एहसास देती है उसे नये मतलब से देखे तो दुनिया अलग एहसास देती है छुपी हुई रोशनी जीवन को हमेशा साथ देती है
पर सवाल तो यह होता है रोशनी तो जीवन को खुशियाँ देती है उसे जाने क्यूँ उन्हे हम छुपाते रहते है जिन्हे हम जीवन मे हर बार दिखाना चाहते है
जाने क्यूँ दिल के किसी कोने मे छुपी चीजों को हम जीवन मे आगे ले जाना चाहते है उन्हे कहाँ हम समज पाते है छुपी चीज ही तो जीवन कि सच्चाई हर बार बन जाती है
छुपी सोच को मतलब ही जीवन को सच्ची राह दे जाता है हमे हर बार नई दिशा और अलग उम्मीद दे जाता है छुपी सोच का मतलब हर बार अलगसा होता है
मन के अंदर जो खयाल उम्मीद देते है उनमे ही जीवन कि उम्मीद बसी हुई होती है छुपी सोच से ही हमारी किस्मत बनती है दिल मे जो सोच होती है वह उम्मीद हमे हर बार दिखती है

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