Sunday 27 December 2015

कविता ४०२. असली और नकली चीजे

                                                          असली और नकली चीजे
कागज के फूलों से भी खुशबू कभी कभी आती है जब अत्तर मे भीगो दे तो हर चीज खुशबूदार नजर आती है पर उन फूलों से नये पेड नही बनते ना वह किसी तितली को खुश कर पाते है
सच्चे फूल भले मुरझाते हो पर काम बहोत वह आते है कागज कि झूठी चीजों से असली चीजे ही काम आती है जीवन दिखावा नही होता है उसे जीना हर बार असल मे ही होता है
जिस नकली चीज को पा कर हम फूले नही समाते है असल चीज को पाने कि चाहत उस पल हम मन मे दबाते है क्योंकि असली चीज को खोने के डर से हम नकली को पास रखना चाहते है
असली चीज से ज्यादा हम नकली चीज को चाहते है क्योंकि नकली चीज को हम आसानी से अपने पास रख पाते है हर बार हम यही सोचते है क्यो ढूँढे मुश्किल चीज को जब आसान चीज हम आसानी से पाते है
सही चीज को पाने के लिए मेहनत से जाने क्यों हम कतराते है जीवन में आसान चीज से ज्यादा हम अस्सल चीज माँगे तो हम सही दिशा में जाते है
जीवन की धारा को जो हर पल समज लेना चाहते है पर असल चीज तो हम नहीं परख पाते है क्योंकि नकली चीज को हम आसानी से जीवन में समज लेना हर बार चाहते है
आसानी से सही चीजों को जीवन में पाना हम आसान नहीं पाते है जीवन में हम हर बार नई राह अपना लेने पर ही हम सही चीज को परख पाते है
सही चीजे हमेशा असली होती है उन्हें समज लेना हर बार जरुरी होता है चाहे कितनी मेहनत होती हो पर जीवन में हर बार यह जरुरी होता है
असली चीज को चाहना और उसे परख लेना हर बार जरुरी होता है जिन्हे समज लेना हर बार अहम जीवन में हर मोड़ पर हमेशा लगता है
असली और नकली दोनों को समज लेना हर बार अहम और जरुरी होता है पर उस से गलत बात है जो जल्द बाजी में जब हम गलत चीज को अपनाते है
क्योंकि जीवन के अंदर हर बार अलग अलग ख़याल जीवन को जिन्दा हर बार करते है हमें हर बार उम्मीदे दे जाते है हर मोड़ पर मुश्किलें देते है 

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