Saturday 12 December 2015

कविता ३७३. गलत राह

                                                गलत राह
कभी कोई बात जीवन मे हो जाती है सीधी राह अक्सर उलटी दिख जाती है जीवन को मतलब जो राहे देती है उसे जीवन को उम्मीद हर बार दे जाती है
सीधी दिशा मे मतलब जो जीवन को मिलते है उन्हे समज लेने से ही जीवन को उम्मीदे मिलती है सीधी राह पर जीवन को मकसद अलग मिल जाता है
सीधे चलने से जीवन उम्मीदे लाता है सीधी राहों पर ही जीवन का एहसास नया दिख पाता है पर सीधी राह ही जीवन को आगे ले जाती है हर बार आगे लाती है
सीधी राह ही तो जीवन को मतलब दे जाती है पर दुःख की बात तो तब होती है जब वह चलने के बाद अलग नजर आती है राह तो वह होती है जो जीवन को बनाती है
पर कभी कभी कई कदमों के बाद राह गलत नजर आती है जो चोट पोहचाती है जीवन को अलग मतलब दे जाती है राह तो बस वही  गलत होती है और हम चलते जाते है
राहों से क्या कतराना पर जब वह गलत नजर आती है सारी मेहनत जीवन मे जाया सी लगती है राह तो वह होती है जो जीवन को साँसे दे जाती है
पर गलत तो जीवन लगता है जब राह जीवन को उम्मीदे नही दे जाती है राहे तो वह होती है जो जीवन मे उम्मीदे दे जाती है गलत को सही और सही को गलत कह जाती है
जीवन को क्या मतलब दे जब हर मोड पर हम मेहनत से चलते है पर राह गलत हो तो मेहनत बेकार नजर आती है पर बेकार नही होती है वह मेहनत समज लो तो उसकी जरुरत नजर आती है
क्योंकि नई राह पर वह पुरानी सीखी चीज काम बडे आती है वह पुरानी चीज नये सीरे से नई राह बना लेने के काम बहुत आती है वह चीज हमे रोशनी दे जाती है क्योंकि आगे बढते समय वह चीज काम आती है
मेहनत जाया नही जाती वह बडे काम कि नजर आती है तो मेहनत जीवन कि वह पुंजी है जो हर दम जीवन को मतलब दे जाती है जीवन के बडे काम आती है

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