Friday 18 December 2015

कविता ३८४. सही राह तक पोहोचना

                                    सही राह तक पोहोचना
हर राह पर हमारी कुछ तो सोच जरुर होती है जो राहों को अलग मतलब देती जाती है मन का अलग एहसास बनाती जाती है राह तो जीवन को मतलब दे जाती है
राह तो दुनिया के अलग एहसास होती है क्योंकि राह कई चीजे जीवन को दिखा जाती है जिन्हे समज लेने से जीवन मे उजाला हर बार होता है राह पर ही अलग अलग चीजे हर बार होती है
राह तो जीवन कि उम्मीद होती है राह तो जीवन का मतलब बन जाती है राह तो अलग अलग बाते दिखाती है नई शुरुआत हर बार दे जाती है क्योंकि राह मे ही अलग बात होती है
राह को परख लेने कि जरुरत हर बार होती है पर बिन चले कहाँ राह समज ली जाती है राह तो जीवन को मतलब दे जाती है हर मोड पर राह अलग एहसास लाती है
राह तो हर बार मतलब को समज लेती है पर चले बिना कहाँ राह समज मे आती है राह तो वह होती है जो मन को उम्मीदे और मतलब दे जाना चाहती है
 कभी गलत राह भी जीवन मे जगाती है क्योंकि राह तो जीवन को मतलब दे जाती है पर कभी कभी मतलब गलत भी नजर आते है जीवन कि राहे अलग बन जाती है
गलत चीज को समज लेने से ही सही चीज मिल पाती है पर जाने क्यूँ ऐसा लगता है हमने वक्त गवा दिया है जब हम गलत राह पर एक भी कदम चलते है
जानते है की यह जरुरी है पर उसे मन कहाँ अपनाता है जीवन मे राह को समज लेना अहम होता है और उसके लिए इन्सान कभी गलत दिशा मे भी जाता है
पर गलत दिशा का एहसास भी मन को दर्द देता है पर बिना दर्द के कहाँ सही राह का मिलना  होता है तो गलत राह को समज लेना जरुरी होता है
सही राह को परख लेना हर बार अहम होता है पर गलत राह से निपट लेने बाद ही सही राह का होना जीवन मे हर बार मुमकिन होता है तो सही राह को समज लेना जरुरी होता है

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