Wednesday 9 December 2015

कविता ३६७. हर खयाल

                                      हर खयाल
हर खयाल के अंदर जीवन का अलग मतलब छा जाता है हर सोच के हर कदम के पीछे हर मोड पर अलग एहसास मिलता है खयाल के भीतर नया मोड होता है
खयालों को परख लेना ही हर बार अहम होता है जब कुछ सोच रखते है तो उस खयाल के अलग तरीकों का जीवन पर कुछ अलग असर हर बार जीवन मे होता है
क्योंकी कभी कभी कोई खयाल जीवन को मकसद दे जाता है पर सिर्फ उस खयाल मे जीने से जीवन वही रूक जाता है हम सोचते रहते है जिस धारा मे हम आगे बढते है
बस उसी धारा मे हम जीवन को समज लेते है पर शायद एक ही धारा को समज लेना काफी नही होता है जिसे परखे तो जीवन आगे बढने से नही डरता है
क्योंकी एक खयाल तो हमे और ही रोक लेता है कई खयाल को समज लेना जीवन को सही समज देता है खयाल कितना भी प्यारा हो उस पर ना रूक जाना क्योंकी आपका आगे बढना ही उसे उम्मीद देता है
खयाल जो जीवन को समज लेना जरुरी होता है वह हमेशा कई खयालों के समज लेने के बाद ही आगे बढ जाता है खयाल जो जीवन को मकसद दे जाता है
वही खयाल सारे खयालों के साथ ही हमे उम्मीदे दे कर जाता है खयाल तो वह ताकद बन जाता है जो जीवन को नई दिशा दे जाता है वह कई खयालों से ही जीवन बन जाता है
खयाल तो जीवन बन जाता है पर एक खयाल जीवन के लिए काफी नही होता है कई खयाल जब जीवन मे आते है तो ही जीवन को अलग मतलब हर बार दे जाते है
खयालों को समज लेना कई बार मुश्किल लगता है पर वही तो खयालों कि अहमियत होती है उन्हे समज लेना उलझन हर बार लगता है खयाल ही तो जीवन कि उम्मीद होते है
हर खयाल जीवन कि नई शुरुआत बनता है खयालों को समज के एक करे तो जीवन कि अलग भाषा बन जाती है जो जीवन को परख लेना हर बार एक नही पर कई खयालों से समजा लेती है

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