Thursday, 24 December 2015

कविता ३९७. पतझड का फूल

                                            पतझड का फूल
बहारों मे तो कई फूल हमने जीवन मे खिलते देखे है पर प्यारा तो वह फूल लगा जो पतझड मे डाली पर कितने आसानी से खिल गया दिप तो जलते है कई खास तो वह दिप लगा जिसे हमने तूफानों मे जलाया और वह जलता रहा
रोशनी तो वह हर पल देता है जीवन मे मतलब तो उस दिप मे है जो तूफानों को चीर के जीवन मे उजाले दे गया यह हमसे सबने कहा पर हमे तो तूफानों मे जलता दिया भी भा गया
जब मुश्किल मे कोई साथ खडा रहा जीवन कि उम्मीदों को किनारा मिला छोटी छोटी बाते ही जीवन मे काफी रही बडी बातों कि जरुरत को कई बार हमने महसूस ही नही किया
जमीन पर चलना कभी कभी काफी रहा आसमान मे उडने कि जरुरत को कहाँ हमने मेहसूस किया जीवन मे जब आगे बढते गये छोटी बातों मे ही खुशियों का सहारा मिला
नन्हीसी बातों का हर बार जीवन मे सहारा मिला उन बातों मे जीवन का हर बार किनारा मिला जीवन मे छोटी बाते हर बार अहम लगने लगी उनसे जीवन का सहारा मिला
बात कितनी भी छोटी हो या बडी उसी बात से ही उम्मीदों का उजाला मिला जो हमारे साथ पतझड मे रहे उन फूलों से ही तो सच्ची बहारों का इशारा मिला
छोटी बात से ही जीवन को सहारा मिला बडी बात कि जरुरत से ज्यादा छोटी छोटी चीजों का भी जीवन मे अलग किनारा मिला छोटी बातों का साथ भी जीवनमे सहारा लगा
वह फूल जो पतझड मे उगते है उन फूलों से ही तो जीवन को मतलब मिला फूल तो कई बहारों मे आ जाते है जिनको गिनते रहना हम जीवन मे जरुरी पाते है
छोटी बाते जो जीवन को मतलब दे जाती है छोटी बाते ही तो अक्सर साथ निभाती है क्योंकि आँधी मे भी छुप के से वह जिन्दा रह जाते है साथ जो मुसीबत मे दे उसे समज लेना चाहते है
उस छोटे दिपक और उस मासूम फूल से ही जीवन को प्यारा पाते है जीत से ज्यादा वह साथ अहम पाते है क्योंकि जीवन मे ऐसा दोस्त पाने से हम जीवन मे जीत कि खुशियाँ पाते है

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