Tuesday 1 December 2015

कविता ३५१. जीवन के सही और गलत रंग

                               जीवन के सही और गलत रंग
जाने कैसे किस कदम पर जीवन का रंग बदल जाता है पर हर बार ग़लत ना समजो जीवन को वह अक्सर सही रंग ही दे जाता है हम समजे या ना समजे जीवन तो मतलब दे ही जाता है
जीवन तो एक वह धारा है जिसे सही ग़लत से फ़र्क़ नहीं पड़ता जीवन तो आगे बढ़ता ही जाता है ना कभी किसी कि सोच के बारे मे सुनता है ना कभी किसी कि परवाह करता है
जीवन तो बस वही करता है जो जीवन के उस मोड़ पर सही होता है बस हमे अपने अलावा किसीकि परवाह नहीं होती उसी बजह से जीवन कि वह गाड़ी हर बार सही नहीं लगती है
क्योंकि जीवन कि गाड़ी तो सबका सोचती है उसे सिर्फ़ हमारी परवाह नहीं होती है जब सबके ख़ातिर हम आगे बढ़ते है तो सिर्फ़ एक इन्सान कि हमारे बारे मे क्या सोच है उसकी हमे परवाह नहीं होती है
जीवन कि गाड़ी तो आगे चलती रहती है उस गाड़ी को समज लेने कि हमे उम्मीद होती है जीवन कि हर सोच जो हमे नई उम्मीद दे जाती है वह जीवन के किसी फ़ैसले से ही होती है
पर हर बार हमारी सोच खुद का ही सोचती है जीवन के हर मोड़ पर सिर्फ़ अटक जाती है जीवन कि गाड़ी ध्यान से ले जानी होगी जहाँ सिर्फ़ हमारी परवाह नहीं होती है
जीवन कि गाड़ी सबका सोच कर चलती है पर कभी कभी वह हमारी परवाह करती है जिन्दगी कि कश्ती मुश्किल से आगे चलती है गाड़ी मे जीवन अच्छा एहसास देती है
जीवन को समज लेना उसकी ज़रूरत होती है जीवन हर मोड़ पर हर पल मे सबकी सोचता है हमे उसकी सुननी होती है अगर हम उसकी न सुने तो जीवन मे रोशनी नहीं होती है
जीवन को आगे ले जाना ज़रूरत होता है इसलिए जीवन कि गाड़ी हर बार अलग मोड़ से चलती रहती है वह सही मोड़ से जीवन को आगे ले जाती रहती है
जीवन मे हर बार आगे जाना जीवन कि ज़रूरत होती है सही दिशा से आगे जाना जीवन कि ज़रूरत होती है अगर जीवन को समजे तो अपनी दुनिया सुंदर बनती है

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