Tuesday 22 December 2020

कविता. ३९३७. उम्मीद कि कश्ती से कह दो।

                                                          उम्मीद कि कश्ती से कह दो।

उम्मीद कि कश्ती से कह दो हम नये पंख लगाकर बैठे है आशाओं को नयी दिशाओं से सपनों कि राह बना बैठे है रुकना जाए प्यास उम्मीदों कि यह आस लगा बैठे है इंतजार करते है उस मोड़ का जिसके संग सांसों का रिश्ता बना बैठे है जिसे कोई रोकना सके वह उमंग जीवन मे ला बैठो।

उम्मीद कि कश्ती से कह दो हम नयी दिशाएं लेकर बैठे है आज हमें ना रोको नये समुंदर कि गरहराई में ले जाओ आशाओं के सरगम पर लहरों कि दिशाएं बांधों उस मोड़ पर चल दो जिस आस से उमंग मिलती है उस धून संग कोशिश कि आस दिखा दो मेहनत से हम डरते नहीं बस मुस्कान कि आस लगा बैठो।

उम्मीद कि कश्ती से कह दो हम नयी कहानी सुनाने बैठे है हर एहसास को समझ लो नयी पहचान जगाने बैठे है उजालों से सिर्फ क्यों हम अंधेरों से भी दोस्ती बनाने निकले है रात कि उस मुस्कान को हम अपनाने निकले है जो बचपन से होंठों पर अक्सर आती है बस उसे पकड़कर बैठो।

उम्मीद कि कश्ती से कह दो हम नयी रोशनी ढूंढकर बैठे है वह आग हमे इशारा देती है जिसे लहरों पर झुमने कि आदत है जो कहने को तो आग है पर पल मे दर्या का पानी है उस के मधूरसी धून संग हर रात सुहानी है हम उस आग को पास लिए है जो शीतल दर्या का पानी है उसे आजमाकर बैठो।

उम्मीद कि कश्ती से कह दो हम नयी परख आजमाने बैठे है हर धारा को तोडकर आशाओं कि सरगम सुनाने निकले है हर पल जो पुकार बने वह कहानी सरगम लेकर निकली है उजालों ने जो ना दियी वह उमंग अंधेरों से मांगने निकले है जो राह उजाला अंधेरा एक बनाएं उसे अपनाकर बैठो।

उम्मीद कि कश्ती से कह दो हम नये किनारा देखकर बैठे है आवाजों को अल्फाजों कि मुस्कान जरुरी लगे वह इशारा परख लेने दो जो हर जीवन को रोशन करें वह अंधेरों से ही निकलती है वह प्यास जिसे तलाश दे उसे दिशाओं कि राह बनाने निकले है बस उस लम्हे कि आस दिल से लगा बैठो।

उम्मीद कि कश्ती से कह दो हम नये तराने सुनने बैठे है आशाओं को अंदाजों कि तलाश बनकर बहने दो वह लहर हमारी है जिसे सबकी जरुरत समझकर दिशाओं से मिलने दो उस ख्याल को परख लेने दो जिसे तरानों कि तलाश से समझकर परखने दो उस मधूर आशाओं कि सरगम को पकड़कर बैठो।

उम्मीद कि कश्ती से कह दो हम नया इशारा दिखाने बैठे है हर अदा को जज्बातों कि सुबह बनकर सुनने दो हम सपनों कि तलाश से परख कि सरगम बनकर मिलने दो उस सपने को उस आस कि पहचान से जुडकर चलने दो परख से आजमाकर इरादा मिलने दो उस समझ कि तलाश को समझकर बैठो।

उम्मीद कि कश्ती से कह दो हम नयी दिशाएं परखने बैठे है अंदाजों को खयालों कि सोच आजमाकर चलने दो हर रोशनी कि सुबह से दास्तानों कि तलाश समझकर चलने दो उस इशारों को जज्बातों कि पुकार से मिलकर जुड़ने दो आवाजों से जुडकर आस परखने दो उस सौगात कि सुबह को आजमाकर बैठो।

उम्मीद कि कश्ती से कह दो हम नया सपना सीने मे रखकर बैठे है आशाओं को नये सपनों कि तलाश समझकर परखने दो हर लहर से एहसासों कि सौगात संग उलझकर समझने दो उस तरानों को दास्तानों कि सुबह से अरमान दो इशारों को जज्बातों से जुडकर रोशनी दो उस कोशिश कि आस को पकड़कर बैठो।

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