Wednesday 30 December 2020

कविता. ३९४५. क्या बात कहें उस राह कि जिस पर।

                                                        क्या बात कहें उस राह कि जिस पर।

क्या बात कहें उस राह कि जिस पर उम्मीदें मेहकती है आशाओं के पलकों पर दिशाओं कि चमक झलकती है कोशिश को इरादों कि सरगम पुकार सुनाती है तरानों को खयालों कि सुबह अहमियत सोच दिलाती है जज्बातों को मधूरसी रोशनी पहचान देती है रोशनी को इशारों से जुडकर सौगात सहारे देती है।

क्या बात कहें उस राह कि जिस पर खुशियां झलकती है अंदाजों के परदों पर जज्बातों कि पुकार मिलती है उम्मीदों को आवाजों कि तलाश सपना सुनाती है नजारों को एहसासों कि सौगात इशारा देकर चलती है तरानों को अधूरीसी लहर कोशिश दिलाती है आवाजों को अल्फाजों से मिलकर पुकार सहारे देती है।

क्या बात कहें उस राह कि जिस पर सपनों कि खुशबू मिलाती है जज्बातों के तरानों पर आवाजों कि तलाश मिलती है इशारों को किनारों कि आस अरमान सुनाती है बदलावों को जज्बातों कि पुकार कोशिश दिखाती है कदमों को अधूरीसी आस खयाल समझाती है अंदाजों को दास्तानों से जुडकर रोशनी सहारे देती है।

क्या बात कहें उस राह कि जिस पर पुकार उजाले देकर चलती है आवाजों के एहसासों पर अदाओं कि सोच दिलाती है लहरों को अफसानों कि परख किनारा सुनाती है इशारों को अंदाजों कि तलाश सपना लेकर आती है दिशाओं को अधूरीसी कोशिश धून सुनाती है कदमों को इरादों से मिलकर आस सहारे देती है।

क्या बात कहें उस राह कि जिस पर मुस्कान मिलती है रंगों के अफसानों पर कहानियों कि पहचान मिलती है तरानों को दास्तानों कि सुबह अफसाना सुनाती है नजारों को जज्बातों कि सोच अफसाना दिखाती है उम्मीदों को मधूरसी पुकार आवाज दिलाती है अरमानों को बदलावों से जुडकर समझ सहारे देती है।

क्या बात कहें उस राह कि जिस पर तलाश संभलती है कदमों के दास्तानों पर सपनों कि सरगम पुकार दिलाती है एहसासों को दिशाओं कि धाराएं पहचान सुनाती है लहरों को अफसानों कि सौगात सरगम समझती है आशाओं को अधूरीसी आस सपना दिलाती है अंदाजों को नजारों से मिलकर परख सहारे देती है।

क्या बात कहें उस राह कि जिस पर उमंग कि कहानी सुनाती देती है आशाओं पर जज्बातों कि सुबह मिलती है मुस्कान को किनारों कि समझ अदाएं मिलती है आशाओं को अंदाजों कि तलाश एहसास सुनाती है नजारों को मधूरसी रोशनी अरमान समझाती है आवाजों को अल्फाजों से जुडकर आस सहारे देती है।

क्या बात कहें उस राह कि जिस पर सोच कि तलाश मिलती है इशारों पर अफसानों कि सौगात सरगम सुनाती है लहरों को अफसानों कि परख बदलाव दिलाती है दास्तानों को खयालों कि सुबह सौगात मिलती है कोशिश को अधूरीसी पहचान किनारा समझाती है एहसासों को इरादों से मिलकर दास्तान सहारे देती है।

क्या बात कहें उस राह कि जिस पर खुशियों कि सुबह सुनाती है दास्तानों पर जज्बातों कि पुकार रोशनी दिलाती है किनारों को इरादों कि समझ अफसाना समझाती है उजालों को दिशाओं कि धाराएं सरगम सुनाती है नजारों को अधूरीसी कोशिश तलाश दिलाती है कदमों को तरानों से जुडकर सौगात सहारे देती है।

क्या बात कहें उस राह कि जिस पर किनारों कि सोच समझ दिलाती है तरानों पर आवाजों कि धून अफसाना सुनाती है तरानों को खयालों कि सुबह अरमान जगाती है कोशिश को इरादों कि तलाश अल्फाज मिलती है आशाओं को मधूरसी पुकार पहचान दिलाती है जज्बातों को आवाजों से मिलकर आस सहारे देती है।


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