Saturday 26 December 2020

कविता. ३९४१. दास्तान कोई अधूरीसी।

                                                                   दास्तान कोई अधूरीसी।

दास्तान कोई अधूरीसी कहानी कहती है आशाओं को पहचाने तो नयी दिशाएं मिलती है एहसासों कि पुकार सहारे बनकर चलती है कोशिश को अरमानों कि सरगम आस दिलाती रहती है उजालों को इरादों कि सोच सहारे देती है नजारों को जज्बातों कि पहचान किनारा देती है।

दास्तान कोई अधूरीसी आस कहती है अरमानों को पहचाने तो नयी रोशनी मिलती है आवाजों कि तलाश सपने बनकर चलती है तरानों को खयालों कि सुबह एहसास सुनाती रहती है उम्मीदों को आशाओं कि लहर कोशिश देती है कदमों को इरादों कि समझ किनारा देती है।

दास्तान कोई अधूरीसी कोशिश कहती है आवाजों को पहचाने तो नयी अदाएं मिलती है आशाओं कि परख खयाल बनकर चलती है अंदाजों को दास्तानों कि सोच पुकार देती रहती है जज्बातों को आवाजों कि तलाश सपना देती है लहरों को अफसानों कि परख किनारा देती है।

दास्तान कोई अधूरीसी पहचान कहती है जज्बातों को पहचाने तो नयी कोशिश मिलती है अंदाजों कि सरगम पुकार बनकर चलती है तरानों को खयालों कि सुबह अरमान सुनाती रहती है उमंग को अल्फाजों कि समझ अदाएं देती है दिशाओं को सपनों कि सोच किनारा देती है।

दास्तान कोई अधूरीसी परख कहती है अंदाजों को पहचाने तो नयी बदलाव मिलती है इशारों कि सोच अफसाना बनकर चलती है जज्बातों को इरादों कि समझ सरगम दिलाती रहती है तरानों को कोशिश कि आस अहमियत देती है कोशिश को उम्मीदों कि परख किनारा देती है।

दास्तान कोई अधूरीसी अदाएं कहती है आशाओं को पहचाने तो नयी आस मिलती है उजालों कि सौगात सुबह बनकर चलती है आशाओं को कोशिश सौगात इशारा देती रहती है किनारों को जज्बातों कि पुकार कोशिश देती है आवाजों को अल्फाजों कि समझ किनारा देती है।

दास्तान कोई अधूरीसी कोशिश कहती है अदाओं को पहचाने तो नयी समझ मिलती है उम्मीदों कि सौगात इशारा बनकर चलती है आवाजों को पुकार सहारा देती रहती है लहरों को अफसानों कि परख बदलाव देती है अरमानों को एहसासों कि सरगम किनारा देती है।

दास्तान कोई अधूरीसी सौगात कहती है नजारों को पहचाने तो नयी लहर मिलती है कदमों कि आहट अरमान बनकर चलती है तरानों को पहचान बदलाव दिलाती रहती है आवाजों को अल्फाजों कि समझ कोशिश देती है रोशनी को इरादों कि अहमियत किनारा देती है।

दास्तान कोई अधूरीसी सोच कहती है अंदाजों को पहचाने तो नयी किनारा मिलती है कोशिश कि आस एहसास बनकर चलती है अंदाजों को सुबह समझ सुनाती रहती है दिशाओं को दास्तानों कि सोच बदलाव देती है नजारों को अफसानों कि सौगात किनारा देती है।

दास्तान कोई अधूरीसी पुकार कहती है जज्बातों को पहचाने तो नयी रोशनी मिलती है उजालों कि सौगात तलाश बनकर चलती है तरानों को कोशिश अफसाना देती रहती है एहसासों को लहरों कि सरगम अहमियत देती है उजालों को इरादों कि पहचान किनारा देती है।


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