Thursday 3 December 2020

कविता. ३९११. लहरों को अपनी।

                                                                  लहरों को अपनी।

लहरों को अपनी कहानी कहने दो आशाओं को आकर फिर से बहने दो जो चट्टानें उम्मीदों कि है उन को मन के घरोंदो में रहने दो कुछ पल मुश्किल अपने घर में रुक भी जाए उम्मीद को बहने दो आशाओं कि किरणों संग जज्बातों कि धाराओं को सपनों से मिलकर रोशनी के इशारे दो मन को फिर से शीतल उमंग मिलने दो।

लहरों को अपनी सरगम कहने दो मन कि छुप सी चाहत को आगे बढने दो जो उजालों को दिखाए वह उम्मीद तरानों को समझने दो कुछ मुस्कान के पल को सपनों कि रोशनी बनकर किनारों में समझने दो दास्तानों संग खयालों कि रोशनी को अल्फाजों से जुड़ी कोशिश बनने दो आवाजों को फिर से मधूर धारा बनने दो।

लहरों को अपनी उम्मीद कहने दो इशारों कि पहचान से जुडकर एहसासों को आस कि सरगम बनने दो आवाजों को लम्हों कि कोशिश कुछ किनारों से मिलकर उम्मीद दे ऐसे आशाओं को दास्तानों मे सुनने दो खयालों संग मुस्कान कि समझ से जुडकर उम्मीद कि आस बनने दो अंदाजों को फिर से सुहानी पुकार बनने दो।

लहरों को अपनी कोशिश कहने दो सपनों कि सरगम से मिलकर आवाजों को आशाओं कि पहचान मिलने दो दिशाओं को बदलावों कि सुबह कुछ दास्तानों के समझकर उजालों को नजारों मे परख लेने दो आशाओं को कोशिश कि अरमान से मिलकर एहसासों कि सरगम सुनने दो खयालों को फिर से शीतल जज्बात बनने दो।

लहरों को अपनी आस कहने दो अंदाजों कि रोशनी को परखकर एहसासों कि उमंग आस संग जुड़ने दो दास्तानों को जज्बातों कि समझ कुछ किनारों के अंदाजों में अदाओं को जज्बातों से आजमा लेने दो आवाजों को अल्फाजों कि परख से जुडकर रोशनी कि दिशा बनाने दो अरमानों को फिर से सुंदर अफसाना बनने दो।

लहरों को अपनी दास्तान कहने दो आशाओं कि उम्मीद को समझकर उजालों कि उम्मीद मिलने दो दिशाओं को बदलावों कि राह कुछ अफसानों के किनारों को सपनों से मिलकर दास्तान सुनने दो खयालों को अफसानों कि कहानी से मिलकर एहसासों कि सौगात आजमाने दो आशाओं को फिर से मधूर परख बनने दो।

लहरों को अपनी सरगम कहने दो इशारों कि पहचान को मिलकर तरानों कि सरगम को आजमाने दो उजालों को कोशिश कि सरगम कुछ नजारों संग एहसासों के आशाओं को खयालों से जुडकर चलने दो दास्तानों को किनारों कि उम्मीद से जुडकर राहों कि तलाश बनने दो अरमानों को रोशनी फिर से सुंदर पहचान बनने दो।

लहरों को अपनी कोशिश कहने दो दास्तानों कि सौगात को जुडकर रोशनी कि सुबह को सूरज आजमाने दो दिशाओं को बदलावों कि तलाश कुछ मुस्कान संग आवाजों के इशारों को सपनों से मिलकर बनने दो अंदाजों को खयालों कि सोच से समझकर उजालों कि सरगम बनने दो आवाजों को धून फिर से मधूर एहसास बनने दो।

लहरों को अपनी किनारा कहने दो राहों कि तलाश को परखकर आवाजों कि उम्मीद को मिलने दो दास्तानों को जज्बातों कि आस कुछ कोशिश संग आवाजों के अंदाजों से मिलकर बढ़ने दो तरानों को अरमानों कि तलाश से जुडकर कदमों कि आहट आजमाने दो तरानों कि आस को फिर से शीतल सपना बनने दो।

लहरों को अपनी सरगम कहने दो दिशाओं कि उमंग को मिलकर एहसासों कि उमंग को बनाने दो अरमानों को कदमों कि आहट कुछ उजाले संग आशाओं के दास्तानों से जुडकर उम्मीद दो अंदाजों को अफसानों कि सौगात ‌से समझकर उजालों कि राह आजमाने दो दिशाओं कि सुबह को फिर से सुंदर अल्फाज बनने दो।



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