Friday 25 December 2020

कविता. ३९४०. लम्हों से कुछ कहने कि जरुरत।

                                                                    लम्हों से कुछ कहने कि जरुरत। 

लम्हों से कुछ कहने कि जरुरत नही होती है आशाओं के घरोंदों मे सिमटे उम्मीदों को होती है एहसासों संग कोशिश कि सुबह हर पल नयी होती है जज्बातों से जुडकर अरमानों कि सुबह किनारा देती है रोशनी को इरादों कि पहचान सहारा देती है लहरों को अफसानों कि पहचान देती है।

लम्हों से कुछ कहने कि जरुरत नही होती है उनकी सरगम अपनी धून मे चलती रहती है दिशाओं को दास्तानों कि तलाश हर अरमान नयासा देती है किनारों से मिलकर आस कि पुकार उजाला देती है नजारों को एहसासों कि सौगात अदाएं देती है खयालों को जज्बातों कि पहचान देती है।

लम्हों से कुछ कहने कि जरुरत नही होती है अंदाजों के खयालों संग दिशाओं कि तलाश मिलती है रोशनी को इरादों कि सोच हर मुस्कान नयी होती है आवाजों से जुडकर अदाओं कि सोच उमंग देती है लहरों को अफसानों कि समझ सहारा देती है अल्फाजों को कदमों कि पहचान देती है।

लम्हों से कुछ कहने कि जरुरत नही होती है आवाजों के अपनी पुकार मे रोशनी कि सोच होती है जज्बातों संग आशाओं कि सरगम हर आवाज नयी देती है किनारों से मिलकर इशारों कि सुबह आस देती है आवाजों को अल्फाजों कि तलाश सपना देती है नजारों को एहसासों कि पहचान देती है।

लम्हों से कुछ कहने कि जरुरत नही होती है उनसे एहसासों कि सौगात अफसाना बनती है कोशिश संग अरमानों कि तलाश हर इशारा नयासा देती है उजालों से जुडकर आवाजों कि तलाश सपना देती है कदमों को सपनों कि सोच सौगात देती है इरादों को सरगम कि पहचान देती है।

लम्हों से कुछ कहने कि जरुरत नही होती है जज्बातों के एहसासों कि कोशिश खयाल देती है कदमों संग लहरों कि सोच हर मुस्कान नयी देती है एहसासों से जुडकर आशाओं कि महफ़िल बन जाती है रोशनी को इरादों कि समझ अदाएं देती है अंदाजों को तलाश कि पहचान देती है।

लम्हों से कुछ कहने कि जरुरत नही होती है तरानों के इशारों कि सुबह अरमान देती है किनारों संग अफसानों कि सौगात हर कोशिश नयीसी देती है कदमों से मिलकर आवाजों कि जरुरत अरमान जगाती है दिशाओं को दास्तानों कि तलाश अरमान देती है बदलावों को इशारों कि सोच पहचान देती है।

लम्हों से कुछ कहने कि जरुरत नही होती है आवाजों के रोशनी कि सोच परख देती है लहरों संग नजारों कि तलाश हर अरमान नयासा देती है दिशाओं से जुडकर अफसानों कि सौगात इशारा देती है अंदाजों को जज्बातों कि पुकार रोशनी देती है जज्बातों को राहों कि सुबह पहचान देती है।

लम्हों से कुछ कहने कि जरुरत नही होती है उनकी सौगात अपनी कोशिश मे अल्फाज देती है एहसासों संग जज्बातों कि पुकार हर सहारा नयासा देती है दास्तानों से मिलकर आवाजों कि राह पुकार देती है लहरों को अफसानों कि सौगात इशारा देती है तरानों को कोशिश कि आस पहचान देती है।

लम्हों से कुछ कहने कि जरुरत नही होती है जज्बातों के एहसासों कि समझ मे अरमान देती है किनारों संग अफसानों कि जरुरत हर पल नयासा देती है आशाओं से जुडकर अदाओं कि जरुरत आवाज देती है खयालों को इरादों कि समझ सरगम देती है आशाओं को लहरों कि सुबह पहचान देती है।




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