Monday 6 April 2020

कविता. ३४२७. इशारों कि समझ मिली।

                                                       इशारों कि समझ मिली।
अंगारों से जब पुछा अपनी कहानी क्या है वह दिलचस्प लगी सागर कि गहराई से निकल पडी एक सुबह कि उमंग लगी हर लम्हा किसी दिशा मे उम्मीद कि आहट मिली मुस्कान को सपनों कि पुकार एहसास कि कोशिश देकर चलती रही खयालों को सपनों कि सोच इशारों कि समझ मिली।
अंगारों से जब पुछा अपनी आस क्या है वह मुस्कान कि शुरुआत कि कुछ पंक्तियों से जुड गयी एक कोशिश कि पहचान लगी हर पल किसी सपने मे उमंग कि किरण दिखी जज्बात को आशाओं कि समझ सपनों कि सौगात बनकर मिली अरमानों को जज्बातों कि सौगात इशारों कि समझ मिली।
अंगारों से जब पुछा अपनी उम्मीद क्या है वह आशाओं कि किरण संग एहसासों से मिलकर बनी एक किनारे कि पुकार लगी हर तलाश किसी आवाज मे दास्तान कि पुकार मिली लहर के एहसासों कि परख दिशाओं कि पुकार से मिली उजालों को अरमानों कि सरगम इशारों कि समझ मिली।
अंगारों से जब पुछा अपनी परख क्या है वह अरमानों कि पुकार बनी आशाओं के पंखों से उडान मिली एक अदा कि सोच लगी हर पल किसी एहसास मे तराने कि समझ दिखी आवाजों के कदमों कि सरगम धून संग सपने मे मिली लहरों को नजारों कि पहचान इशारों कि समझ मिली।
अंगारों से जब पुछा अपनी तलाश क्या है वह कोशिश कि सोच लगी जज्बातों के लहरों से दिशाएं मिली एक राह कि पुकार मिली हर खयाल किसी आस मे आवाज कि परख दिखी एहसासों के उजालों कि समझ उजालों कि रोशनी से मिली अफसानों को सपनों कि परख इशारों कि समझ मिली।
अंगारों से जब पुछा अपनी कोशिश क्या है वह सपनों कि सौगात लगी खयालों के अंदाजों से तलाश मिली एक सपने कि आस दिखी हर आवाज किसी कोशिश मे जज्बातों कि समझ मिली लहरों के कदमों कि आवाज किनारों कि राह मे मिली अल्फाजों को जज्बातों कि उमंग इशारों कि समझ मिली।
अंगारों से जब पुछा अपनी उमंग क्या है वह आशाओं कि परख को एहसासों के उजालों से रोशनी मिली एक उम्मीद कि समझ मिली हर लहर किसी अरमान मे दास्तानों कि शुरुआत मिली नजारों के उजालों कि पुकार खयालों कि परख से मिली अदाओं को तरानों कि सोच इशारों कि समझ मिली।
अंगारों से जब पुछा अपनी उम्मीद क्या है वह सुबह कि उमंग को नजारों के दास्तानों से पुकार मिली एक रोशनी कि पहचान दिखी हर उम्मीद किसी इरादे मे तरानों कि सरगम बनी खयालों के अंदाजों कि सोच उम्मीदों कि तलाश मे मिली आवाजों को सपनों कि सौगात इशारों कि समझ मिली।
अंगारों से जब पुछा अपनी कोशिश क्या है वह सपनों कि पुकार लगी आवाजों के तरानों से सरगम मिली एक समझ कि सोच मिली हर लम्हा किसी अफसानों मे कदमों कि पुकार बनी आशाओं के पंखों कि सुबह तरानों कि सोच से मिली अरमानों को किनारों कि रोशनी इशारों कि समझ मिली।
अंगारों से जब पुछा अपनी कि पुकार क्या है वह अरमानों कि सोच लगी जज्बातों के राहों से रोशनी मिली एक उम्मीद कि आहट दिखी हर उमंग किसी लहरों मे खयालों कि परख मिली उजालों के सपनों कि सौगात अदाओं कि परख से लगी अल्फाजों को एहसासों कि सरगम  इशारों कि समझ मिली।

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