Wednesday 29 July 2020

कविता ३६५८. सोच के संग कोई राह अक्सर।

                                                                     सोच के संग कोई राह अक्सर। 
सोच के संग कोई राह अक्सर जुड जाती है जो एहसासों को सपनों कि आस दिलाती है दास्तानों को अफसानों कि सुबह मुस्कान देती है किनारों को आशाओं कि उम्मीद तलाश देती है कदमों को खयालों कि सरगम धून देती है इरादों को अरमानों कि उमंग परख देती है जज्बातों को आवाजों कि धून तराने देती है इशारों कि पहचान देती है।
सोच के संग कोई राह अक्सर एहसास दिलाती है जो दास्तानों को जज्बातों कि सरगम देती है इरादों को अरमानों कि उमंग परख देती है आवाजों को लम्हों कि कहानी परख देती है आशाओं को दास्तानों कि उम्मीद तलाश देती है कदमों को खयालों कि सोच सरगम देती है तरानों को सपनों कि सुबह आस देती है किनारों कि पहचान देती है।
सोच के संग कोई राह अक्सर पुकार सुनाती है जो सपनों को अंदाजों कि कोशिश दिलाती है कदमों को खयालों कि सोच सरगम देती है नजारों को अफसानों कि सुबह मुस्कान देती है दिशाओं को बदलावों कि सुबह परख देती है आवाजों को लम्हों कि कहानी एहसास देती है बदलावों को कदमों कि आहट अल्फाज देती है नजारों कि पहचान देती है।
सोच के संग कोई राह अक्सर रोशनी दिखाती है जो लहरों को अफसानों कि कहानी दिलाती है तरानों को आशाओं कि उम्मीद तलाश देती है इरादों को अंदाजों कि रोशनी उमंग देती है किनारों को अरमानों कि उमंग तलाश देती है जज्बातों को सपनों कि राह अफसाने देती है अदाओं को लहरों कि परख बदलाव देती है जज्बातों कि पहचान देती है।
सोच के संग कोई राह अक्सर कोशिश सुनाती है जो जज्बातों को अरमानों कि समझ देती है आवाजों को लम्हों कि उमंग परख देती है दास्तानों को अफसानों कि सुबह आस देती है इरादों को सपनों कि सुबह मुस्कान देती है आवाजों को लम्हों कि उमंग परख देती है आशाओं को अल्फाजों कि उमंग रोशनी देती है लहरों कि पहचान देती है।
सोच के संग कोई राह अक्सर बदलाव दिलाती है जो तरानों को खयालों कि सौगात दिलाती है अदाओं को किनारों कि सोच सरगम देती है दिशाओं को बदलावों कि उम्मीद तलाश देती है लहरों को तरानों कि आस अल्फाज देती है नजारों को अफसानों कि सुबह आस देती है अंदाजों को कोशिश कि रोशनी तलाश देती है उजालों कि पहचान देती है।
सोच के संग कोई राह अक्सर सरगम सुनाती है जो दास्तानों को आशाओं कि उम्मीद दिलाती है लहरों को तरानों कि सुबह मुस्कान देती है इरादों को अरमानों कि समझ परख देती है खयालों को अंदाजों कि रोशनी उजाले देती है दास्तानों को अफसानों कि सोच दिशाएं देती है अदाओं को किनारों कि कहानी परख देती है कदमों कि पहचान देती है।
सोच के संग कोई राह अक्सर दास्तान दिखाती है जो सपनों को अंदाजों कि कहानी सुनाती है इरादों को अरमानों कि उमंग परख देती है आशाओं को खयालों कि सोच दिशाएं देती है अदाओं को लहरों कि पुकार कोशिश देती है इरादों को आवाजों कि उम्मीद तलाश देती है दास्तानों को अफसानों कि सोच सरगम देती है एहसासों कि पहचान देती है।
सोच के संग कोई राह अक्सर पुकार दिलाती है जो नजारों को अफसानों कि सुबह देती है तरानों को सपनों कि सरगम पुकार देती है किनारों को अरमानों कि उमंग परख देती है कोशिश को अल्फाजों कि परख सौगात देती है दास्तानों को आशाओं कि उम्मीद तराने देती है लहरों को आवाजों कि धून तलाश देती है आवाजों कि पहचान देती है।
सोच के संग कोई राह अक्सर सरगम सुनाती है जो तरानों को अरमानों कि समझ देती है जज्बातों को आवाजों कि धून दास्ताने देती है कदमों को अंदाजों कि राह अफसाने देती है तरानों को सपनों कि रोशनी उमंग देती है इरादों को अरमानों कि उमंग कोशिश देती है आशाओं को खयालों कि उम्मीद तराने देती है जज्बातों कि पहचान देती है।



No comments:

Post a Comment

कविता. ५१६५. उम्मीदों को किनारों की।

                               उम्मीदों को किनारों की। उम्मीदों को किनारों की सौगात इरादा देती है आवाजों को अदाओं की पुकार पहचान दिलाती है द...